फोर्ज वेल्डिंग प्रक्रिया

 

फोर्ज वेल्डिंग का इतिहास

फोर्ज वेल्डिंग अब तक का सबसे प्राचीन वेल्डिंग पद्यत है जो कांस्य युग में धातु ( ताम्बे और कांस्य आदि)की खोज के साथ आरम्भ  हुआ था। यह प्रक्रिया धातुओं को मिलाने के सबसे सरल तरीकों में से एक है और प्राचीन काल से इसका इस्तेमाल पारंपरिक रूप से होता चला आरहा है ।
फोर्ज वेल्डिंग प्रक्रिया

फोर्ज वेल्डिंग का परिचय

फोर्ज वेल्डिंग अब तक की सबसे पुरानी वेल्डिंग विधि है जो कांस्य युग में धातुओं (तांबा और कांस्य आदि) की खोज के साथ शुरू हुई थी।
उस समय धातुओं को मिलाने की एक ही विधि ज्ञात थी, जिसमें भट्टियों में धातुओं को उच्च तापमान पर गर्म कर के  हथौड़े की सहायता से पीट कर जोड़ा जाता था । 


फोर्ज वेल्डिंग  प्रक्रिया 

फोर्ज वेल्डिंग ,ठोस अवस्था वेल्डिंग प्रक्रिया( solid state welding process) के तहत आता है, जिसमे धातु के दो टुकड़ों को उच्च तापमान पर गर्म करके और फिर उन्हें एक साथ दबाव बना कर जोड़ा जाता है  । 

फोर्ज वेल्डिंग क्या है

फोर्ज वेल्डिंग में, धातु के हिस्सों को कोयले, कोक या चारकोल जैसे ईंधन के साथ फोर्ज फर्नेस में गरम किया जाता है। जुड़ने वाले भागों को तब तक गर्म किया जाता है जब तक कि धातु की जुड़ने वाली सतह नर्म  न हो जाए। जब यह स्थिति पहुँच जाती है, तो दोनों भागों को जल्दी से एक दुसरे के साथ आरोपित कर दिया जाता है और वेल्ड को दबाव या हथौड़े से बनाया जाता है।

फोर्ज वेल्डिंग में  इंधन (तापमान का प्रयोग )

इस विधि में धातु के हिस्सों को फोर्ज फर्नेस(भट्टियों ) में गरम किया जाता है जिसमे कोयले, कोक या चारकोल जैसे ईंधन का प्रयोग होता है । अधिक बड़े उपकरणों को जोड़ने के लिए बड़ी भट्टियों की व्यवस्था की जाती है ।

फोर्ज वेल्डिंग में दबाव का प्रयोग 

फोर्ज वेल्डिंग में हथौड़े या दबाव का बल शामिल होने वाले भागों के आकार और द्रव्यमान पर निर्भर करता है।

फोर्ज वेल्डिंग में फ्लक्स का उपयोग

इस प्रक्रिया में, जुड़ने वाली सतहों को बाहरी पदार्थों जैसे  ऑक्साइड और गंदगी आदि को हटाने के लिए धातु के वेल्डिंग तापमान तक पहुंचने से ठीक पहले एक फ्लक्स का उपयोग किया जाता है (आमतौर पर रेत या बोरेक्स को जोड़ने के लिए सतहों पर छिड़का जाता है)। फ्लक्स धातु पर फैलता है, हवा को बाहर रखकर ऑक्सीकरण को रोकता है, पैमाने के गलनांक को कम करता है, और इसे तरल बनाता है ताकि धातु को हथौड़े से दबाने पर इसे वेल्ड से बाहर निकाला जा सके।

फोर्ज वेल्डिंग का आधुनिकीकरण 


औद्योगिक क्रांति के दौरान विद्युत वेल्डिंग और गैस वेल्डिंग विधियों के आविष्कार के साथ, मैनुअल फोर्ज-वेल्डिंग को काफी हद तक बदल दिया गया है, हालांकि स्वचालित फोर्ज-वेल्डिंग एक सामान्य निर्माण प्रक्रिया है।

फोर्ज वेल्डिंग का उपयोग

  • फोर्ज वेल्डिंग का उपयोग धातु के अलग-अलग टुकड़ों को जोड़कर अधिक महत्वपूर्ण धातु बनाने के लिए किया जाता है जैसे  इसका उपयोग जंजीर, तलवारें, रेल की छड़ें और फाटक बनाने का पारंपरिक तरीका है। इसका उपयोग कुकवेयर और कृषि उपकरण बनाने में भी किया जाता है।
  • इसका उपयोग प्लेट को  घुमाकर प्लेटों से पाइप बनाने के लिए भी किया जाता है
  • इसके अतिरिक्त फोर्ज वेल्डिंग द्वारा  बेलनाकार रूप और फोर्ज द्वारा अनुदैर्ध्य जंक्शन बनाना आदि 


 कार्य विधि 

फोर्ज वेल्डिंग प्रक्रिया को मूल रूप से चार चरणों में पूरा किया जाता है । 
  • सबसे पहले जोड़ने वाले सिरों को फोर्ज फर्नेस (भट्टियों)में गर्म करने के लिए डाला जाता है तथा इस पूर्ण रूप से प्लास्टिक स्तिथि तक तपित किया जाता है ।
  • पूर्ण रूप से गरम होने के पश्चात इसे निकाल कर इसपर  फ्लक्स का छिडकाव किया जाता है ,सामान्यत: फ्लक्स के रूप में बोरेक्स का  उपयोग किया जाता है जो एक निम्न-तापमान, कांच की ढाल के रूप में कार्य करता है जो धातु के ऑक्सीकरण को रोकता है।
  • फ्लक्स के उपयोग के पश्चात धातु को वापस फोर्ज में रखते हैं । इसे वापस एक चमकदार पीली रंगत कीई दशा तक गर्म किया जाता है।
  • जब यह चमकीले पीले रंग का हो तो धातु के  टुकड़े को फोर्ज से हटा कर जुड़ने के लिए   पावर हैमर या हाइड्रोलिक प्रेस की सहायता से दबाव बनाया जाता है और इस प्रकार वेल्डिंग की प्रक्रिया पूर्ण की जाती है ।

फोर्ज वेल्डिंग के द्वारा जुड़ने वाले मेटल और उनकी मोटाई 

  • गढ़ा लोहा और कम कार्बनव की मात्रा वाले स्टील ।
  • फोर्ज वेल्डिंग के द्वारा  लगभग 30 मिमी की  मोटाई वाले धातुओं को आपस में  जोड़ा जा सकता है ।

    फोर्ज वेल्डिंग के उपयोग 

प्राचीन काल से ही फोर्ज वेल्डिंग का उपयोग घरेलु बर्तनों को बनाने में किया जाता रहा है । 
वर्त्तमान समय में भी  कृषि कार्य हेतु इस विधि का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है, जैसे हंसिया ,फावड़ा, खुरपी ,कुदाल कुल्हाड़ी एवं हल आदि के साथ साथ सामान ढोने वाली पारंपरिक धक्का गाड़ियों का निर्माण ।
इसकी सहायता से आज भी पारम्परिक डिजाइन वाले कलश के कंगूरे एवं खिडकियों के फूल पत्तों के डिजाइन बनाये जाते हैं 

फोर्ज वेल्डिंग के लाभ 

इस विधि में अधिक लागत नही आती है।छोटे औजारों को आसानी से भट्टी में वेल्ड किया जा सकता है। कम स्थान एवं कम पूंजी में इस व्यापार को किया जा सकता है । 

फोर्ज वेल्डिंग की सीमाएं 

फोर्ज वेल्डिंग के द्वारा निश्चित आकार की वस्तुओं  एक सीमा तक ही का जोड़ा जा सकता है। बड़े उपकरणों को जोड़ने के लिए अधिक ताप की आवश्यकता होती है जो बड़े फर्नेस से ही संभव है। फोर्ज एल्डिंग की सहायता से सीमित धातुओं को ही आपस में जोड़ा जा सकता है । 

निष्कर्ष वाक्य

फोर्ज वेल्डिंग प्राचीन पद्यत होने के बाद भी आज अपने पारंपरिक और आधुनिक दोनों रूपों में प्रयोग में लाई जाती है जो बहुत जगहों पर अन्य वेल्डिंग प्रक्रियाओं से कम खर्चीली यो सरल प्रक्रिया भी सिद्ध हुई है ,इसी लिए फोर्ज वेल्डिंग आज भी लोकप्रिय है ।



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